महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी—शरद पवार गुट—नागपुर नगर निगम चुनाव अलग-अलग लड़ने का फैसला कर चुके हैं। सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच चली लंबी बातचीत आखिरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी, जिसके बाद एनसीपी (एसपी) ने अकेले मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले से नागपुर की सियासत गरमा गई है और इसका सीधा फायदा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है।
एनसीपी (शरद पवार) के नागपुर शहर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार रात तक कांग्रेस नेताओं के साथ सीट बंटवारे को लेकर चर्चा चलती रही, लेकिन बाद में कांग्रेस नेताओं ने फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया। पेठे के मुताबिक, यह रवैया साफ तौर पर संकेत देता है कि कांग्रेस नागपुर में गठबंधन नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि गठबंधन की उम्मीद में पार्टी ने लगातार बातचीत की, लेकिन अंत में उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
कांग्रेस ने मांग को नजरअंदाज किया – पेठे
दुनेश्वर पेठे ने बताया कि एनसीपी (एसपी) ने शुरुआत में नागपुर नगर निगम चुनाव के लिए 25 सीटों की मांग की थी। बाद में गठबंधन को बचाने के उद्देश्य से पार्टी ने अपनी मांग घटाकर 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति भी दे दी थी। इसके बावजूद कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया। पेठे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का यह रुख समझ से परे है और इससे यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस कहीं न कहीं बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने हमारे साथ गठबंधन न करने का फैसला कर लिया है, जिसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा।”
2017 के नागपुर नगर निगम चुनाव के नतीजे
अगर पिछले चुनावों पर नजर डालें तो नागपुर नगर निगम में बीजेपी का दबदबा साफ दिखाई देता है। 2017 में हुए 151 सदस्यीय नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज करते हुए 108 सीटों पर कब्जा किया था। कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी और उसे 28 सीटें मिली थीं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने 10 सीटें जीती थीं। शिवसेना (अविभाजित) को दो सीटें मिली थीं, जबकि एनसीपी (अविभाजित) सिर्फ एक सीट जीत पाई थी। इन आंकड़ों से साफ है कि विपक्षी दलों की कमजोरी का फायदा बीजेपी को मिला था।
तीन चुनावों से बीजेपी का वर्चस्व
नागपुर नगर निगम में बीजेपी लगातार तीन चुनाव जीत चुकी है। साल 2002 में आखिरी बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2007, 2012 और 2017 में बीजेपी ने लगातार जीत हासिल कर अपना वर्चस्व बनाए रखा। वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो 2002 में यहां 49.07 फीसदी मतदान हुआ था, जो 2007 में बढ़कर 56.28 फीसदी हो गया। 2012 में मतदान प्रतिशत घटकर 52 फीसदी रहा, जबकि 2017 में 53.72 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई थी। आंकड़े बताते हैं कि मतदाता लगातार नगर निगम चुनावों में रुचि दिखा रहे हैं।
महाराष्ट्र की 29 महानगर पालिकाओं पर नजर
महाराष्ट्र में कुल 29 महानगर पालिकाओं के लिए चुनाव होने हैं। इन चुनावों के तहत 15 जनवरी को मतदान कराया जाएगा, जबकि अगले दिन मतगणना होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि मंगलवार यानी आज है। दो जनवरी तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे और तीन जनवरी को उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। ऐसे में नागपुर नगर निगम चुनाव को महाराष्ट्र की राजनीति के लिए सेमीफाइनल माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, नागपुर में कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) का अलग-अलग चुनाव लड़ना एमवीए के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस टूट का फायदा बीजेपी कितना उठा पाती है और क्या विपक्ष बिखराव के बावजूद सत्ताधारी दल को चुनौती दे पाता है।