बांग्लादेश इस समय एक बार फिर अस्थिरता और संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। पिछले हफ्ते हुई शरीफ उस्मान हादी की निर्मम हत्या ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। इस हत्याकांड के विरोध में 'इंकलाब मंच' के बैनर तले हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे ढाका का हृदय स्थल माना जाने वाला 'शाहबाग' रणक्षेत्र में तब्दील हो गया है।
शाहबाग में रातभर धरना और नाकाबंदी
शुक्रवार, 26 दिसंबर को इंकलाब मंच ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर शाहबाग के एक बड़े हिस्से को ब्लॉक कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने रात भर सड़कों पर डेरा डाले रखा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रदर्शनकारियों का हौसला कम नहीं हुआ। इंकलाब मंच के सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि यह नाकाबंदी तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें:
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उस्मान हादी के हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी और उन पर त्वरित मुकदमा।
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हत्या की साजिश रचने वालों और अपराधियों को सीमा पार (भारत) भागने में मदद करने वाले अधिकारियों की पहचान और सजा।
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सरकार के मुख्य सलाहकारों द्वारा सार्वजनिक रूप से जवाबदेही तय करना।
"जमुना" का घेराव करने की चेतावनी
उस्मान हादी के भाई, उमर बिन हादी ने अंतरिम सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन इस मामले में न्याय दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। उमर ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदर्शनकारी मुख्य सलाहकार के आवास 'जमुना' का घेराव करेंगे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि स्थानीय खुफिया एजेंसियां मामले को सुलझाने में विफल रहती हैं, तो सरकार को एक अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी (International Investigation Agency) नियुक्त करनी चाहिए।
चुनावी माहौल और बढ़ती हिंसा
बांग्लादेश में यह अशांति एक ऐसे समय में आई है जब देश फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों की तैयारी कर रहा है। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है, जिसने जमीनी स्तर पर हिंसक झड़पों का रूप ले लिया है। उस्मान हादी की हत्या ने इस आग में घी का काम किया है।
इंकलाब मंच का दावा है कि उस्मान की हत्या एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, जिसके कारण वे अब तक कानून की पकड़ से दूर हैं।
प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए यह स्थिति किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। एक तरफ देश की कानून व्यवस्था चरमरा रही है, तो दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों का दबाव बढ़ता जा रहा है। शाहबाग की नाकाबंदी से ढाका की यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे आम जनता को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।