भारत के इतिहास का स्वर्णिम दिन: 1 नवंबर, जब कई राज्यों का हुआ पुनर्गठन और जन्मीं 'मिस वर्ल्ड'

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Posted On:Saturday, November 1, 2025

1 नवंबर की तारीख भारतीय और वैश्विक इतिहास दोनों में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है. यह वह दिन है जब भारत ने राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत भाषाई आधार पर अपने कई महत्वपूर्ण राज्यों को नया स्वरूप दिया. इसी दिन, जहां एक तरफ देश ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज कीं, वहीं दूसरी तरफ कला और साहित्य जगत के कई सितारे इस दुनिया में आए और गए.

1 नवंबर: राज्यों के पुनर्गठन का ऐतिहासिक पर्व

1 नवंबर का दिन भारतीय इतिहास में "स्थापना दिवस" के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. 1 नवंबर 1956 को, राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत भारत का नक्शा हमेशा के लिए बदल गया, जब भाषाई और प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर कई नए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया गया.

प्रमुख राज्यों का उदय (1956)

  • मध्य प्रदेश (MP): इसे 'भारत का हृदय' भी कहा जाता है. इसका गठन मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, भोपाल और मध्य प्रांत को मिलाकर किया गया था. भोपाल को इसकी राजधानी बनाया गया.

  • केरल (Kerala): मलयालम भाषी क्षेत्रों को मिलाकर इस राज्य का गठन हुआ, जिसे 'केरल पिरवी' के रूप में मनाया जाता है. यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और उच्च साक्षरता दर के लिए प्रसिद्ध है.

  • कर्नाटक (Karnataka): पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था. 1973 में इसका नाम बदलकर कर्नाटक किया गया. 1 नवंबर 1956 को इसका भी गठन भाषाई आधार पर किया गया.

  • आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh): भाषाई आधार पर इसका भी गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था.

  • केंद्र शासित प्रदेश: दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप (पहले लक्कादीव, मिनिकॉय और अमिंदिवी द्वीप) को भी इसी दिन केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था.

बाद में हुआ गठन (1966 और 2000)

  • पंजाब और हरियाणा: 1 नवंबर 1966 को पंजाब का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया, जिससे हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे नए राज्य बने.

  • छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh): 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ भारत का 26वां राज्य बना.

विश्व और भारत की अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ

1 नवंबर की तारीख दुनिया भर में कई बड़ी घटनाओं की गवाह रही है:

  • 1604: विलियम शेक्सपियर की कालजयी रचना 'ओथैलो' का पहली बार लंदन के व्हाइटहाल पैलेस में मंचन किया गया.

  • 1755: पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में एक विनाशकारी भूकंप आया, जिससे 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई और भारी तबाही मची.

  • 1800: जॉन एडम्स, व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने.

  • 1858: ब्रिटिश राजशाही ने भारत का प्रशासन ईस्ट इंडिया कंपनी से अपने हाथ में ले लिया, और गवर्नर-जनरल को वायसराय की पदवी दी गई.

  • 1913: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तारक नाथ दास ने कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को शहर में 'गदर आंदोलन' की शुरुआत की.

  • 1950: चित्ररंजन रेल कारखाने में भारत का पहला भाप इंजन बनकर तैयार हुआ.

  • 1984: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिससे देश के कई हिस्सों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ और सिख समुदाय को गहरा आघात लगा.

1 नवंबर: प्रसिद्ध हस्तियों का जन्मदिन

1 नवंबर की तारीख कला, राजनीति और साहित्य जगत के कई प्रमुख नामों के जन्म से जुड़ी है:

  • ऐश्वर्या राय (1973): भारतीय सिनेमा की सबसे सफल और खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक, जो पूर्व मिस वर्ल्ड (1994) भी हैं.

  • संतोष गंगवार (1948): भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व केंद्रीय मंत्री.

  • पद्मिनी कोल्हापुरे (1965): बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री.

  • टिस्का चोपड़ा (1973): भारतीय अभिनेत्री, जिन्होंने कई फिल्मों और वेब सीरीज में अपने अभिनय का लोहा मनवाया.

  • प्रभा खेतान (1942): लब्ध प्रतिष्ठित हिंदी उपन्यासकार, कवयित्री और नारीवादी चिंतक.

1 नवंबर: किन महान हस्तियों का हुआ निधन

1 नवंबर को साहित्य और खेल जगत की कुछ महत्वपूर्ण हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कहा:

  • प्रो. रामदरश मिश्र (2025): हिंदी साहित्य के प्रख्यात कवि, लेखक और पूर्व प्रोफेसर. उन्हें अपनी कालजयी रचनाओं के लिए पद्म श्री सहित कई प्रमुख सम्मानों से नवाजा गया था.

  • डेल कार्नेगी (1955): अमेरिकी लेखक, व्याख्याता और डेवलपर, जिनकी पुस्तक "हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल" आज भी विश्व भर में प्रसिद्ध है.

  • एजरा पाउंड (1972): प्रवासी अमेरिकी कवि और आलोचक, जिन्हें बीसवीं सदी की कविता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है.

1 नवंबर का दिन भारतीय लोकतंत्र में भाषाई पहचान की स्थापना से लेकर वैश्विक इतिहास की उथल-पुथल और कला जगत के सितारों के उदय और अस्त होने तक, कई रंगों को समेटे हुए है. यह न केवल एक ऐतिहासिक दिवस है, बल्कि देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतीक है.


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