ब्रिटेन की राजनीति में इस समय प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की तीखी आलोचना हो रही है। वजह है—मिस्र की जेल में लंबे समय तक बंद रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता अला अब्द एल-फत्ताह का ब्रिटेन वापसी पर स्वागत करना। स्टार्मर ने फत्ताह की रिहाई और परिवार से उनके पुनर्मिलन पर खुशी व्यक्त की थी, लेकिन विपक्षी दलों और जनता के एक बड़े वर्ग ने फत्ताह के पुराने हिंसक बयानों को लेकर प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लिया है।
कौन हैं अला अब्द एल-फत्ताह?
अला अब्द एल-फत्ताह एक सॉफ्टवेयर डेवलपर, लेखक और लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता हैं। वह 2011 की मिस्र की क्रांति और 'अरब स्प्रिंग' के दौरान एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे थे। अपनी राजनीतिक सक्रियता के कारण वह पिछले 14 वर्षों में से अधिकांश समय मिस्र की जेलों में रहे। उन पर बिना अनुमति प्रदर्शन करने और 'झूठी खबरें' फैलाने जैसे आरोप थे, जिन्हें मानवाधिकार संगठनों ने हमेशा राजनीति से प्रेरित बताया। सितंबर 2025 में मिस्र के राष्ट्रपति द्वारा माफी मिलने और यात्रा प्रतिबंध हटने के बाद वे 26 दिसंबर को अपनी मां के जरिए मिली ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर लंदन पहुंचे।
विवाद की जड़: पुराने सोशल मीडिया पोस्ट
जैसे ही प्रधानमंत्री स्टार्मर ने फत्ताह का स्वागत किया, सोशल मीडिया पर उनके पुराने ट्वीट और पोस्ट वायरल होने लगे। आलोचकों का आरोप है कि फत्ताह के पुराने पोस्ट में यहूदी-विरोधी (Anti-Semitic) और हिंसक भाषा का इस्तेमाल किया गया था। कथित तौर पर कुछ पोस्ट में उन्होंने पुलिसकर्मियों और जायनिस्टों (Zionists) की हत्या का समर्थन करने जैसी बातें कही थीं।
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता रॉबर्ट जेनरिक ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए सवाल किया कि क्या स्टार्मर को इन घृणित पोस्ट के बारे में जानकारी थी? उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को अपना बिना शर्त समर्थन वापस लेना चाहिए और उन हिंसक बयानों की सार्वजनिक निंदा करनी चाहिए।
सरकार की सफाई
विवाद बढ़ता देख ब्रिटिश विदेश मंत्रालय (FCDO) ने स्पष्टीकरण जारी किया है। सरकार का कहना है कि फत्ताह की रिहाई के लिए प्रयास करना एक मानवीय मुद्दा था और यह लंबे समय से ब्रिटेन की प्राथमिकता रही है। हालांकि, प्रवक्ता ने साफ किया कि:
"सरकार अला अब्द एल-फत्ताह के पुराने ट्वीट्स की निंदा करती है और उन्हें घृणित मानती है। उनकी रिहाई का समर्थन करने का मतलब उनके विचारों का समर्थन करना बिल्कुल नहीं है।"
प्रधानमंत्री के लिए राजनीतिक चुनौती
कीर स्टार्मर के लिए यह स्थिति असहज है क्योंकि वह अपनी पार्टी (लेबर पार्टी) के भीतर और बाहर 'घृणास्पद भाषण' और 'यहूदी-विरोध' के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का दावा करते रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि एक ऐसे व्यक्ति का व्यक्तिगत रूप से स्वागत करना, जिस पर हिंसक विचारधारा के प्रचार का आरोप हो, प्रधानमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ है।
निष्कर्ष: अला अब्द एल-फत्ताह का मामला मानवाधिकार बनाम कूटनीतिक नैतिकता की बहस बन गया है। जहां एक ओर मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे अभिव्यक्ति की आजादी और उत्पीड़न के खिलाफ जीत मान रहे हैं, वहीं आलोचक इसे कट्टरपंथ को संरक्षण देने के रूप में देख रहे हैं। प्रधानमंत्री स्टार्मर के लिए अब इस कूटनीतिक जीत और घरेलू राजनीतिक आक्रोश के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।