उज्ज्वल निकम का बड़ा बयान, बोले- संजय दत्त समय पर बताते तो टल सकते थे 1993 के मुंबई धमाके, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, July 15, 2025

मुंबई, 15 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। वरिष्ठ वकील और हाल ही में राज्यसभा के लिए नामित सदस्य उज्ज्वल निकम ने 1993 के मुंबई बम धमाकों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि अगर अभिनेता संजय दत्त उस गाड़ी के बारे में पुलिस को बता देते, जिससे उन्होंने AK-47 बंदूक उठाई थी, तो शायद ये धमाके रोके जा सकते थे। NDTV को दिए इंटरव्यू में निकम ने यह भी बताया कि धमाकों से पहले अबू सलेम, जो गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम का करीबी है, हथियारों से भरी वैन लेकर संजय दत्त के घर पहुंचा था। उस वैन में हथगोले और AK-47 राइफलें थीं। संजय दत्त ने उनमें से कुछ हथियार लौटा दिए, लेकिन एक AK-47 अपने पास रख ली थी। निकम का कहना है कि इस जानकारी को छुपाना और पुलिस को न बताना, देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चूक थी, जिसके नतीजे में 12 मार्च 1993 को मुंबई के अलग-अलग इलाकों में 13 बम धमाके हुए। इन धमाकों में 257 लोगों की जान चली गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। निकम ने कहा कि संजय दत्त सीधे-सादे व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन कानून की नजर में उन्होंने अपराध किया। उन्होंने कभी AK-47 चलाई नहीं, लेकिन प्रतिबंधित हथियार को रखना अपने आप में अपराध था।

कोर्ट ने संजय दत्त को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल न मानते हुए उन्हें टाडा एक्ट से राहत दी, लेकिन आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी टाडा कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए उनकी सजा छह साल से घटाकर पांच साल कर दी। सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट में संजय के व्यवहार पर भी उज्ज्वल निकम ने अपनी बात साझा की। उन्होंने बताया कि सजा के ऐलान के बाद संजय बेहद घबराए हुए थे, कांप रहे थे और सदमे में लग रहे थे। तब निकम ने उन्हें समझाया कि मीडिया देख रहा है, इसलिए खुद को संयमित रखें और अपील का अधिकार है। इस पर संजय ने ‘यस सर’ कहते हुए सिर झुका लिया। उज्ज्वल निकम 26/11 मुंबई आतंकी हमले के केस में भी सरकारी वकील रहे हैं। इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या आतंकी कसाब को जेल में बिरयानी दी गई थी, तो उन्होंने बताया कि कसाब ने वास्तव में बिरयानी मांगी थी, लेकिन इसे बाद में राजनीतिक रंग दे दिया गया।

संजय दत्त को धमाकों के कुछ हफ्ते बाद गिरफ्तार किया गया था। उन पर अबू सलेम और रियाज सिद्दीकी से हथियार लेने, उन्हें रखने और बाद में नष्ट करने का आरोप था। कोर्ट में पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट हुआ कि जिन हथियारों का जखीरा मुंबई हमले में इस्तेमाल हुआ, संजय को मिले हथियार उसी का हिस्सा थे। संजय ने अदालत में कहा था कि उन्होंने ये हथियार अपने परिवार की सुरक्षा के लिए रखे थे, लेकिन बाद में डर के कारण कुछ लोगों की बातों में आकर यह फैसला किया। उन्हें पहली बार 1995 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन दो महीने बाद फिर गिरफ्तार कर लिया गया। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 1997 में दोबारा जमानत मिली। 31 जुलाई 2007 को टाडा कोर्ट ने उन्हें छह साल की सजा सुनाई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में घटाकर पांच साल कर दिया। संजय ने सजा स्वीकारते हुए कहा था कि वह राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राजनीतिक परिवार से जुड़े होने की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया। उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में सजा पूरी की और 25 फरवरी 2016 को रिहा हुए।


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