क्यों है खास Mehandipur Balaji की होली ? जानें भूत-प्रेत सहित मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

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Posted On:Saturday, March 23, 2024

होली का त्योहार आने में सिर्फ एक दिन बचा है. इस त्योहार का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। देशभर में रंगों का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा. होली के दिन जहां कई लोग घर पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ त्योहार मनाते हैं, वहीं कुछ लोग बाहर घूमने भी जाते हैं। अगर इस बार आप भी होली पर कहीं बाहर जाना चाहते हैं तो मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जा सकते हैं। हर वर्ष होली के अवसर पर यहां भव्य आयोजन किये जाते हैं। भक्तों के लिए विशाल होली मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों और लाइटों से सजाया गया है।

आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।

क्यों खास है मेहंदीपुर बालाजी की होली?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर हनुमानजी को समर्पित है। यह मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में हनुमानजी के अलावा रामजी और माता सीता की भी मूर्तियां हैं। आपको बता दें कि मेहंदीपुर बालाजी में हर साल हनुमानजी के भक्तों के लिए मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में बच्चों और बड़ों के लिए झूला, चाट, पकौड़े और मिठाई आदि की दुकानें लगाई गई हैं। इस वर्ष बालाजी धाम में होली मेले का आयोजन 22 मार्च 2024 से 27 मार्च 2024 तक किया जाएगा। वहीं बालाजी मंदिर को फूलों और लाइटों से सजाया गया है। इसके अलावा होली के अवसर पर भक्तों के लिए प्रसाद वितरण की भी विशेष व्यवस्था की जाती है।

मेहंदीपुर बालाजी की स्थापना कैसे हुई?

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्वयं राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में प्रकट हुई थी। मूर्ति मिलने के बाद श्री महंत जी के पूर्वजों ने दौसा जिले में एक मंदिर बनवाया। उस समय श्री महंत जी के पूर्वज ही इस मंदिर की देखभाल करते थे। इसके अलावा उन्होंने सुबह मंदिर के दरवाजे खोले और बालाजी की पूजा की. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।

बालाजी का प्रसाद घर क्यों नहीं लाते?

मंदिर से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं हैं कि यहां आरती करते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा मंदिर में प्रसाद नहीं खाना चाहिए और न ही इसे घर ले जाना चाहिए। अन्यथा उन पर बुरी आत्माओं का साया है।


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