भारत में सनातन परंपरा के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होने वाले पितृपक्ष का विशेष धार्मिक महत्व है। इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से प्रारंभ हो चुका है और आज 9 सितंबर को इसका द्वितीया श्राद्ध मनाया जा रहा है। यह दिन उन पितरों की तिथि मानी जाती है, जिनका निधन द्वितीया तिथि को हुआ था।
पूजा का समय और श्राद्ध का महत्व
द्वितीया श्राद्ध के दिन श्राद्ध कर्म और तर्पण दोपहर के समय करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
आज दोपहर 12:12 बजे से कुतुप मुहूर्त आरंभ होगा, जो 1:02 बजे तक चलेगा। इसके तुरंत बाद रौहिण मुहूर्त शुरू होगा, जो 1:51 बजे तक चलेगा। इसके बाद अपराह्न काल में श्राद्ध किया जा सकता है, जिसका समय दोपहर 4:20 बजे तक रहेगा। इन तीनों मुहूर्तों में से कोई भी समय चुनकर श्राद्ध क्रिया संपन्न की जा सकती है।
आज की तिथि, नक्षत्र और योग
-
तिथि: आज प्रातः से लेकर शाम 6:29 बजे तक द्वितीया तिथि रहेगी। इसके बाद तृतीया तिथि का आरंभ होगा।
-
नक्षत्र: आज सुबह 6:07 बजे तक उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रातभर रेवती नक्षत्र का प्रभाव रहेगा।
-
करण: सुबह 7:52 बजे तक तैतिल करण रहेगा, जिसके बाद गर करण रात तक प्रभावी रहेगा।
-
योग: देर रात 11:58 बजे तक गण्ड योग रहेगा, जिसके बाद वृद्धि योग का संक्षिप्त प्रभाव रहेगा।
दिशा शूल और यात्रा सुझाव
आज दिशा शूल उत्तर दिशा में है, अतः इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यदि अत्यावश्यक हो तो यात्रा से पहले तुलसी के पत्तों का सेवन करने की परंपरा शास्त्रों में बताई गई है, जिससे दिशा शूल का प्रभाव कम हो जाता है।
सूर्य, चंद्र और ग्रहों की स्थिति
-
सूर्योदय: सुबह 6:24 बजे
-
सूर्यास्त: शाम 6:49 बजे
-
चंद्रोदय: रात 7:53 बजे
-
चंद्रास्त: सुबह 7:46 बजे
ग्रहों की वर्तमान स्थिति
ग्रहों की यह स्थिति ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती है और कई राशियों के लिए विशेष प्रभाव लेकर आई है।
निष्कर्ष
9 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। पितृपक्ष का दूसरा दिन होने के कारण आज का द्वितीया श्राद्ध विशेष पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया जाता है। जो जातक अपने पूर्वजों को श्रद्धा से याद करता है, उस पर पितृदेवों की विशेष कृपा बनी रहती है।
इसलिए इस शुभ अवसर पर अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करें और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार श्राद्ध कर्म