आज यानी 17 नवंबर से लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो रहा है. यह महोत्सव 20 नवंबर को समाप्त होगा. चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होती है। छठ महापर्व सूर्योपासना का सबसे बड़ा पर्व है. इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस त्योहार में आस्था रखने वाले लोग साल भर इसका इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ व्रत संतान प्राप्ति, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है। तो आइए जानते हैं इस त्योहार से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें...
क्या है छठ पूजा से जुड़ी कहानी
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन षष्ठी मैया हैं। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी मां का एक प्रचलित नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैय्या के नाम से जानते हैं। पुराणों के अनुसार लंका पर विजय पाने के बाद रामराज्य स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ व्रत किया और सप्तमी शाम को सूर्योदय के वक्त उन्होंने पूजा की। सूर्य पुत्र कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने भी छठ माता की पूजा की थी। मान्यता है कि इसी व्रत से उन्हें कई शक्तियाँ प्राप्त हुई।
सूर्य देव और छठी मईया का संबंध
कथाओं के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। इसके बाद पांडवों को छठी मैया के आशीर्वाद से उनका राज वापस मिल गया। सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है
यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। यह व्रत 36 घंटे तक कड़े नियमों का पालन करते हुए किया जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटे से अधिक समय तक निर्जला व्रत रखते हैं। इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है, जो सप्तमी तिथि को सुबह सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होती है।
खरना की तिथि 2023
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना यानी लोहंडा होता है. इस साल खरना 18 नवंबर को है. इस दिन सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा.
छठ पूजा 2023 पर संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य है। इसी दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है. तीसरे दिन व्रती और उनका परिवार घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा शाम का अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा.
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय होता है
चौथा दिन छठ पर्व का आखिरी दिन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस महाव्रत का पारण किया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय प्रातः 06:47 बजे होगा.
छठी पूजा का महत्व
छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पूजा में भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्य देव और छठी माता के लिए प्रसाद बनाती हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। इन दिनों महिलाएं कठोर निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत रखती हैं।
छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां
- छठ पर्व के दौरान मांसाहारी भोजन करना न भूलें. इसके अलावा छठ पूजा के दौरान लहसुन और प्याज का भी सेवन न करें।
- इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाओं को सूर्य देव को अर्घ्य दिए बिना कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
- छठ पूजा का प्रसाद बहुत पवित्र होता है. इसे बनाते समय इसे मिलाना न भूलें.
- पूजा के लिए बांस के सूप और टोकरियों का ही प्रयोग करना चाहिए। पूजा के दौरान कभी भी स्टील या कांच के बर्तनों का प्रयोग न करें।
- साथ ही प्रसाद शुद्ध घी में ही बनाना चाहिए.