मुंबई, 11 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और हेट स्पीच का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में उठाया गया। इस पर जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि CAA एक ऐसा कानून है जो पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है। जिनेवा में चल रहे UNHRC यूनिवर्सल पीरियॉडिक रिव्यू में कई सदस्य देशों ने भारत में CAA के मुद्दे को लेकर चिंता जताई थी। इसको लेकर तुषार मेहता ने कहा, CAA कानून बिलकुल वैसा कानून है जो अलग-अलग देशों में नागरिकता के लिए क्राइटेरिया तैयार करता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा, भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन इससे जुड़े कुछ कानून हैं जिनका का पालन करना जरूरी है। आजादी तब तक है जब तक भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आंच नहीं आ रही है। उचित प्रतिबंध लगाने से हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विनियमित करने में मदद मिलती है। CAA कानून धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारत के पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय- हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दिलाने में मदद करता है। इससे किसी भी नागरिक की नागरिकता छितनी नहीं है। न ही किसी भी देश की भारतीय नागरिकता देने वाली प्रक्रिया में कोई बदलाव होता है।
दरअसल, CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि इससे देश में रहने वाले मुस्लिमों को टारगेट बनाया जा सकता है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर भी जवाब देते हुए कहा- भारत का संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है।