भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में अमेरिका में संगोष्ठी का आयोजन

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Posted On:Monday, April 12, 2021

वॉशिंगटन, 12 अप्रैल । अमेरिका में भारत के प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने एक आनलाइन संगोष्ठी में कहा कि इतिहास में ईसा पूर्व (बीसी) एवं ईसा पश्चात् (एडी) लिखना समस्त प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास के साथ छलावा है। एक संप्रदाय विशेष के लोगों ने छल-कपट एवं निर्ममतापूर्वक अनेक देशों को अपना ग़ुलाम बनाया था। 

डॉ. मोक्षराज ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाले भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में “नववर्ष एवं भारत” विषय पर आयोजित वेबिनार में कहा कि एक संप्रदाय विशेष की उन मान्यताओं को थोपना जिनका वास्तविक इतिहास ही संदिग्ध रहा है, वह भारत के संदर्भ में नितांत अन्यायपूर्ण था। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति एवं इतिहास करोड़ों वर्ष पुराने हैं, जिनमें 8 लाख 69 हज़ार वर्ष पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, 5153 वर्ष पूर्व अर्थात् द्वापर के अंत तक श्रीकृष्ण तथा 2077 वर्ष पहले के महान प्रतापी राजा विक्रमादित्य के हस्ताक्षर विद्यमान हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी आक्रान्ता द्वारा भारत को न केवल लूटना बल्कि उस पर ईसापूर्व ईसा पश्चात् लिखने-लिखाने का षड्यंत्र नियोजित करना, पूरी तरह सांप्रदायिक दुस्साहस था। वेबिनार का आयोजन आर्यसमाज मेट्रोपॉलिटन वाशिंगटन डीसी ने किया था।

डॉ. मोक्षराज ने कहा कि अब भारत सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से पूर्णतः स्वतंत्र, सक्षम एवं सशक्त है, अतः इस ग़ुलामी की कालिख को धोकर हमें अपने ऋषि-मुनियों एवं पूर्वजों की धरोहर का संरक्षण करना चाहिए, जिसमें सृष्टि एवं मनुष्य की उत्पत्ति के 1,96,08,53,122 वर्ष की गणना को वैज्ञानिक ढंग व्यक्त किया गया है। ईसापूर्व व पश्चात् लिखने के साम्प्रदायिक एवं राजनैतिक छल से कल्प व मन्वंतर की गणना के साथ-साथ श्रीरामाब्द श्रीकृष्णाब्द, विक्रमसंवत् एवं अन्य युनानी, ग्रीक, ईरानी, चीनी, अरबी तथा अन्य देशस्थ पूर्वजों की कालगणना को भी भारी उपेक्षा का सामना करना पड़ा है।

संगोष्ठी से पूर्व हवन किया गया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्यपाल खेड़ा ने एवं कार्यक्रम का संचालन आर्यसमाज की मंत्री अनुपमा शर्मा ने किया। संगोष्ठी में वर्जीनिया से राजीव शर्मा, नवनीत शर्मा शारदा, राजेन्द्र शर्मा गौड़ ,ओम्प्रकाश आर्य, वीरेंद्र आर्य, नैना एवं सुशील बत्रा आदि ने भाग लिया।


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