Kyrgyzstan, 10 Dec (News Helpline) सोने के खनन और इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल होने वाला मर्क्युरी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है. लेकिन पारे के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद किर्गिस्तान उत्पादन बढ़ा रहा है. ऐडारकेन किर्गिस्तान में एक पहाड़ी शहर है. इसके पास में ही खनिक पहाड़ों पर भारी मशीनों की मदद से काम कर रहे हैं. खदान मजदूर धातु खोजने के लिए चट्टानों को अपने हथौड़ों से तोड़ते हैं. चमकदार धातु को पाने के लिए मजदूर कड़ी मशक्कत करते हैं. मर्क्युरी खतरनाक गुणों वाली धातु है.
ऐडारकेन खदान धरती पर उन अंतिम स्थानों में से एक है जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए कानूनी रूप से नया मर्क्युरी निकाला जाता है.2013 में 135 देशों ने मिनामाता कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किया था, यह एक वैश्विक समझौता है जो नए मर्क्युरी उत्पादन पर प्रतिबंध लगाता है और इसका उद्देश्य धातु में अधिकांश अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समाप्त करना है. क्या है मिनामाता कन्वेंशन वैश्विक समझौते के तहत मर्क्युरी का कारखाना उत्पादन प्रतिबंधित है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से धातु को हटाना समझौते का हिस्सा है.
इसका नाम जापान के मिनामाता शहर के नाम पर रखा गया है. यह समझौता 16 अगस्त 2016 को लागू हुआ था. किर्गिस्तान की अर्थव्यवस्था में मर्क्युरी खनन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसलिए यह मिनामाता समझौते का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. किर्गिज स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संचालित एक प्रयोगशाला के प्रमुख महमूद इसराइलियोव का कहना है, "पारे के पर्यावरण प्रदूषण के लिए हम जिम्मेदार नहीं है क्योंकि यह एक वैश्विक समस्या है" पारे का अंतरराष्ट्रीय बाजार किर्गिज शहर ऐडारकेन में मर्क्युरी खनन 1941 में पूर्व सोवियत संघ के दौरान शुरू हुआ था. साम्यवादी सोवियत संघ के पतन के बाद भी खदान सरकारी नियंत्रण में रही. किर्गिस्तान में प्राप्त मर्क्युरी चीन, रूस, कजाकिस्तान, यूक्रेन, भारत, फ्रांस और अमेरिका को निर्यात किया जाता है.