मुंबई, 27 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस एक नई कूटनीतिक विवाद में फंस गए हैं। शनिवार को उन्होंने पाकिस्तानी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ’ नाम की किताब गिफ्ट की, जिसके कवर पर बने नक्शे में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया है। इस पर अभी तक भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। बताया जा रहा है कि शमशाद मिर्जा पाकिस्तानी सेना में जनरल आसिफ मुनीर के बाद दूसरे सबसे ताकतवर अधिकारी हैं और भविष्य में सेना प्रमुख बन सकते हैं।
‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ’ एक आर्ट बुक है, जिसमें जुलाई-अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए छात्र-जन आंदोलन के दौरान बनी ग्रैफिटी और चित्रों को शामिल किया गया है। यूनुस ने पिछले साल सितंबर में इस किताब को लॉन्च किया था, हालांकि यह अब तक सार्वजनिक रूप से बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। यूनुस इससे पहले भी कई विदेशी नेताओं को यह किताब उपहार में दे चुके हैं। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, अब तक यह किताब 12 से अधिक अंतरराष्ट्रीय नेताओं को दी जा चुकी है, जिनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा और पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन जैसे नाम शामिल हैं।
जनरल शमशाद मिर्जा 24 अक्टूबर को छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बांग्लादेश पहुंचे थे। अपने दौरे के दौरान उन्होंने यूनुस समेत कई शीर्ष बांग्लादेशी सैन्य और नागरिक अधिकारियों से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। मिर्जा ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं और वे इन रिश्तों को और मजबूत करना चाहते हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब बांग्लादेश की तरफ से भारत विरोधी नक्शे का इस्तेमाल हुआ हो। दिसंबर 2024 में यूनुस के सलाहकार महफूज आलम ने भी एक नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसमें भारत के बंगाल, त्रिपुरा और असम के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया था। विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने पोस्ट हटा दी थी, लेकिन उसमें भारत पर निर्भरता से मुक्ति और दक्षिण एशिया की सांप्रदायिक राजनीति को लेकर भड़काऊ बातें लिखी थीं। इस तरह के घटनाक्रमों से भारत-बांग्लादेश संबंधों में असहजता बढ़ सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल पड़ोसी संबंधों पर असर डालती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं।