ग्वालियर। ग्वालियर कुटुंब न्यायालय पति-पत्नी के आपसी झगड़ों को बातचीत करवा कर सुलझाती है। इसमें कई बार लोग आपसी सहमति से अलग हो जाते हैं, तो कई बार साथ रहने को भी तैयार हो जाते हैं। वैसे तो कुटुंब न्यायालय में तलाक के ऐसे केस आते हैं जिसमें पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग होने की मांग करते हैं लेकिन यह दो मामले कुछ अलग है।
पहला मामला -
इस मामले में युवक और युवती की शादी हुई। शादी के अगले ही दिन युवती ने पति को अपने अफेयर के बारे में बताया। पति ने जब उससे पूछा कि यदि ऐसा था तो फिर वह शादी के लिए तैयार क्यों हुई? परिजनों ने इतने धूमधाम से शादी क्यों की? इस पर युवती संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई और रोने लगी। इसके बाद इस विषय पर लंबी चर्चा हुई, और दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लेने का निर्णय लिया, ताकि युवती अपने प्रेमी के साथ विवाह कर सके। शादी के 3 दिन बाद ही युवती अपने घर लौट गई। वहीं युवक ने तलाक के लिए आवेदन पेश किया। जब इस मामले की कुटुंब न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई तो कुटुंब न्यायालय ने तलाक का आवेदन स्वीकार कर लिया।
दूसरा मामला -
इस मामले में युवक और युवती लखनऊ में 6 माह तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे, बाद में दोनों ने आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। क्योंकि पत्नी ने एमटेक किया था, और उसे ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु जाना था। तो पति ने उसे अकेले भेज दिया। कुछ दिनों तक पत्नी फोन पर बात करती रही बाद में उसने बात करना बंद कर दिया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पत्नी वापस नहीं लौटी। इसलिए पति ने पत्नी से अपने संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन पेश किया, जबकि पत्नी का यह कहना है की, उसने नशे की अवस्था में शादी की थी। वह इस शादी को नहीं मानती।