मुंबई, 28 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार पर हमला कर रहे और बता रहे हैं कि बिहार की बदहाली की वजह नीतीश कुमार और लालू यादव हैं। जन सुराज पदयात्रा कर रहे चुनावी रणनीतिकार PK इन दिनों पूर्वी चंपारण में पदयात्रा कर रहे हैं। आज यात्रा के 58वें दिन रामगढ़वा में मीडिया को संबोधित करते हुए पीके ने कहा, CM नीतीश कुमार अब बिना सुरक्षा के किसी भी गांव में नहीं जा सकते। पहले लोग उन्हें वोट देते थे या नहीं देते थे लेकिन कोई अपशब्द नहीं कहता था। अब लोग उन्हें अपशब्द कहते हैं। PK ने आगे कहा कि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ होते हैं तब उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की याद नहीं आती। भाजपा से अलग होते ही वे विशेष राज्य के दर्जे की मांग करने लगते हैं। वर्तमान में केंद्र से मिलने वाली राशि तो बिहार सरकार ले नहीं पा रही है। मनरेगा के लिए केंद्र बिहार को 10 हजार करोड़ रुपए सालाना आवंटित करती है। बिहार सरकार केवल 40% बिहार सरकार ले रही है। ऐसे में विशेष राज्य के दर्जे का कोई मतलब नहीं है।
साथ ही बिहार में बढ़ती जनसंख्या के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि जनसंख्या को संतुलित रखने के लिए टोटल फर्टीलिटी रेट 2.1 होनी चाहिए। बिहार में ये 3 से ऊपर है। इसके लिए जरूरी है कि परिवार नियोजन के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाया जाए और लोगों को शिक्षित किया जाए। कानून बनाकर जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। बिहार में सबसे कम उम्र में बच्चियों की शादी करा दी जाती है और पूरे देश में बिहार में फर्स्ट प्रेग्नेंसी सबसे कम उम्र में होती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार और उनके शासनकाल के लिए जमीनी स्तर पर लोग अपशब्द का प्रयोग कर रहे हैं। वे बिहार के किसी गांव में बिना सुरक्षा और सरकारी अमला के पैदल नहीं चल सकते। राज्य में अफसरशाही, भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। बिना पैसा दिए एक काम नहीं होता है। अगर लालू जी का शासनकाल अपराधियों का जंगलराज था तो नीतीश कुमार का शासनकाल अधिकारियों का जंगलराज है। 2014 के नीतीश कुमार और 2017 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का फर्क है। 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 2020 में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद भी कुर्सी पर किसी तरह बने हुए हैं।
बिहार में बाढ़ की समस्या पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि मोटे तौर पर बिहार में नदियों को जोड़कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। हमलोग इस पर अभी काम कर रहे हैं। उत्तर बिहार बाढ़ से प्रभावित रहता है और दक्षिण बिहार सूखाग्रस्त। डैम बनाने से या पानी को रोकने से बाढ़ की समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। जल संसाधन विभाग आज के समय में भ्रष्टाचार और लूट का सबसे बड़ा विभाग बन चुका है। जो भी सत्ताधारी पार्टी रही है, जल संसाधन विभाग को अपने पास रखा है। इसमें खर्च का कोई ट्रेस नहीं है। इसलिए बाढ़ का उचित समाधान अब तक नहीं निकल पाता है।