भोपाल, 06 मई । राज्य सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के उपचार की सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करने के लिए लगातार तेजी के साथ प्रयास हो रहे हैं। प्रदेश में सात कंपनियों के रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई प्रदेश में हो रही है जिससे बीतें दिनों रेमडेसिविर की कमी के कारण बढ़ती इंजेक्शन की काला बाजारी में रोक आने के साथ ही कोविड संक्रमित मरीजों को यह अब आसानी से उपलब्ध होने लगा है।
इस संबंध में प्रदेश में सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी दुर्गेश रायकवार ने गुरुवार को बताया कि अब तक दो लाख 45 हजार 554 रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। छह मई को मैसर्स जायडस हेल्थ केयर द्वारा पांच हजार यूनिट रेमडेसिविर इंजेक्शन की पूरे मध्यप्रदेश में आपूर्ति की गई।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 महामारी के नियंत्रण के लिये यथासंभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत रेमडेसिविर की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए शासन द्वारा हर संभव प्रयास किए गए हैं। रेमडेसिविर निर्माताओं को मध्यप्रदेश में इसकी सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी को जरूरत अनुसार उचित दाम पर रेमडेसिविर की सुगम उपलब्धता के साथ ही इसकी कालाबाजारी एवं अवैध विक्रय की रोकथाम के निर्देश प्रदेश के सभी औषधि निरीक्षकों को जारी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि औषधि निरीक्षकों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति एवं वितरण पर सतत निगरानी रखी जा रही है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की सुलभ उपलब्धता के उद्देश्य से इसका वितरण केवल अस्पताल एवं संस्थानों में हो, ऐसी व्यवस्था भी की गई है। वहीं, श्री रायकवार ने ऑक्सीजन के पूर्ति के बारे में बताया है।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति के परिवहन को त्वरित एवं प्रभावी बनाने के लिये राज्य शासन द्वारा अनुमति प्राप्त ऑक्सीजन वाहन को एम्बुलेंस के समक्ष माना गया है। ऑक्सीजन के चार टैंकर ट्रेन के माध्यम से आज आये हैं, जिन्हें 19 जिलों में भेजा गया है। गुरूवार को तीन टैंकर एयरलिफ्ट कर जामनगर एवं रांची भेजे गए। ऑक्सीजन की निर्वाध सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए निर्माताओं एवं डिस्ट्रीब्यूटर्स से सतत संपर्क किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में विगत दिवस में लगभग 563.8 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता रही है। प्रदेश में ऑक्सीजन के परिवहन के लिये पूर्व से स्वीकृत टैंकरों के अतिरिक्त टैंकरों से ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रयास किया जा रहा है। ऑक्सीजन के इण्डस्ट्रियल उपयोग को भी सीमित करके सर्वप्रथम मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है।