भारत ने WHO के साथ की नई पार्टनरशिप, जानिए इससे क्या फायदा होगा

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Posted On:Tuesday, April 19, 2022

मुंबई 19, अप्रैल (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन आज बनासकांठा जिले के दियोदर में बनास डेयरी, गैस प्लांट और रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया। इसके बाद दोपहर में जामनगर में डब्ल्यूएचओ (WHO) ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की बिल्डिंग के लिए भूमिपूजन भी किया। इस मौके पर उनके साथ मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ और WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस भी मौजूद रहे। पीएम मोदी एवं प्रविंद शाम करीब 7 बजे अहमदाबाद पहुंचे और एयरपोर्ट से इंदिरा ब्रिज तक का रोड शो पूरा कर गांधीनगर के लिए रवाना हो गए। स्वागत के लिए जगह-जगह लोगों की भीड़ भी मोके पर मौजूद रही। 

अलग-अलग निकला दोनों पीएम का रोड शो

जामनगर में मोदी और प्रविंद साथ ही थे, लेकिन इसके बाद अलग-अलग कार्यक्रमों के चलते मोदी शाम 7 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, तो वहीं, प्रविंद शाम 7.30 बजे अहमदाबाद पहुंचे। पहले प्रधानमंत्री मोदी का काफिला रवाना हुआ। इसके बाद मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद गांधीनगर के लिए रवाना हुए। इस तरह दोनों प्रधानमंत्रियों का रोड शो अलग-अलग हुआ।

250 करोड़ की लगत में बनेगा यह सेंटर 

आपको बता दे जामनगर में 35 एकड़ जमीन पर तैयार होने जा रहे इस सेंटर के निर्माण में करीब 250 करोड़ रूपए की लागत आएगी। यह सेंटर पारंपरिक आधार पर आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करने वाला दुनिया का पहला केंद्र बनने जा रहा है। पारंपरिक चिकित्सा के अनुसंधान से दुनिया भर के देशों को लाभ होगा। सेंटर का निर्माण 2024 तक पूरा होने की संभावना है।

भारत ने की WHO के साथ नई पार्टनरशिप  

जीसीटीएम के भूमिपूजन के मौके पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा की  WHO ने इस सेंटर के रूप में भारत के साथ नई पार्टनरशिप की है। डॉ. टेड्रोस के साथ मेरा पुराना परिचय है और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस विश्वास से भारत को यह सेंटर स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी है, हम आशा और अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। आज डायबिटीज, ओबेसिटी, डिप्रेशन जैसी अनेक बीमारियों से लड़ने के लिए भारत की योग परंपरा पूरी दुनिया के लिए बहुत काम आ रही है।

इसके पीछे की सोच 

तो वही WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की स्थापना के पीछे एक सोच यह भी है कि यह केंद्र हमारे पारंपरिक औषधियों को दुनिया तक पहुंचा सके। ये केंद्र भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति, जिसमें कुछ पुराने घरेलू उपचार भी शामिल हैं, उन्हें दुनिया तक ले जाएगी। इससे भारत की कुछ पुरानी औषधी और इन्हें इस्तेमाल करने का तरीका भी लोगों तक पहुंचेगा, और लोग इसका लाभ बड़ी ही सरलता से ले सकेंगे। 
 


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