नई दिल्ली, 28 मई - पिछले साल मार्च 2020 से जबसे कोरोना ने अपना प्रभाव देश में फैलाना शुरू किया है, तबसे अब तक तीन लाख से ज्यादा लोग इस महामारी से अपनी जान गंवा चुके हैं, और यह संख्या अभी और भी बढ़ती जा रही है। इन मृतकों में से कई ऐसे परिवार होंगे जो अपने पीछे अपने अनाथ बच्चे बेसहारा छोड़ गए होंगे।
हालांकि बहुत सी राज्य सरकारों ने इस बारे में कई घोषणाएं और प्रयास किए हैं, मगर संतोषजनक परिणाम न मिलता देख सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान के द्वारा इस मामले को अपने हाथों में लेते हुए कोरोना के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों की बेसिक जरूरत की पूर्ति की जिम्मेदारी देश के संबंधित जिला प्रशासन को सीधे दे दी है।
विदित हो कि कोर्ट ने इसके साथ ही इसके प्रोग्रेस रिपोर्ट को लगातार पोर्टल पर अपडेट करने का भी निर्देश दिया है। इसी आदेश के आलोक में पोर्टल के बारे में जानकारी देते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया बालस्वराज नाम का एक पोर्टल सभी संबंधित जिलाधिकारियों की तरफ से संचालित किया जा रहा है।
अपने निर्णय के तत्काल टास्क में सुप्रीम कोर्ट ने कल 29 मई तक सभी जिला अधिकारियों को पोर्टल में कोरोना से अनाथ हुए सभी बच्चों की जानकारी साझा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह सुविधा उन बच्चों तक भी पहुचाने का निर्देश दिया है, जिन बच्चों ने अपना एक भी अभिभावक कोरोना के कारण खो दिया हो। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पिछले साल मार्च 2020 के बाद कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के बारे में ही सीमित है।
आज की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कोरोना महामारी ने एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है और संवेदनशील बच्चों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का आज का यह फैसला कई मामलों में आभुत्वपूर्ण है, जिससे इस महामारी से बेसहारा हुए बच्चों को उचित सहायता प्राप्त होगी।