नई दिल्ली, 9 जुलाई लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) पार्टी के शीर्ष पर बैठने की लड़ाई के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने चिराग पासवान को झटका दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पशुपति पारस को लोक जन शक्ति पार्टी के नेता के रूप में नामित करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट का कहना है कि चिराग की याचिका में दम नहीं है।
ज्ञात हो कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में मचे उठापटक में रामविलास के भाई और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस पार्टी के शीर्ष पर विराजमान हुए थे। इसके बाद के घटनाक्रम में विगत 7 जुलाई को मोदी कैबिनेट के विस्तार में पशुपति पारस को लोजपा कोटे से मोदी कैबिनेट में जगह देते हुए केन्द्रीय खाध्य प्रसंस्करण मंत्री भी बनाया गया।
विदित हो कि इस नाटकीय घटनाक्रम की शुरुआत विगत 13 जून की शाम को हुआ, जब चिराग पासवान से उसके सांसदों का किसी मुद्दे पर विवाद हो गया। अगले दिन यानि 14 जून को चिराग पासवान को छोड़कर पार्टी के अन्य सभी सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई और पशुपति पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन गया। इसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को दे दी गई और लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को लोजपा के नेता के रूप में मान्यता भी दे दी।
लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पशुपति पारस को लोजपा पार्टी का नेता स्वीकार करने के विरोध में चिराग पासवान दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की जज जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच मामले की सुनवाई की और अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को कमजोर बताते हुए ठुकरा दिया।