जयपुर, 29 जनवरी ( न्यूज हेल्पलाइन ) राजस्थान सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव अरविंद कुमार सेंगवा को शनिवार को निलंबित कर दिया। राज्य के कार्मिक विभाग ने शनिवार को यह आदेश जारी किया। आदेश में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारी सेंगवा के निलंबन का कोई कारण नहीं दिया गया है लेकिन जानकारों का कहना है कि उनका निलंबन रीट पेपर लीक मामले में चल रही जांच के चलते किया गया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 (रीट) परीक्षा का आयोजन बोर्ड के अधीन ही किया गया था।
लेकिन इसके पेपर लीक मामले को लेकर राज्य सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। भाजपा के एक प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि सरकार रीट परीक्षा को निरस्त कर मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपे। मामले की जांच पुलिस का विशेष ग्रुप (एसओजी) कर रहा है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर रात एक उच्च स्तरीय बैठक की और मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
रीट पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार रामकृपाल मीणा डिप्टी को-ऑर्डिनेटर बनने से पहले ही आश्वस्त था कि उसके पास पेपर आएगा। इसलिए वह पहले ही उदाराम विश्नोई और उसकी तरह ही पर्चा लीक के लिए कुख्यात एक अन्य आरोपी के सम्पर्क में थे। उसने पेपर उदालाल को दिया, जिसने मुंह मांगी कीमत देनी की हां भरी। अब सवाल यह है कि रामकृपाल की पेपर केन्द्र (शिक्षा संकुल) में तैनाती कैसे हुई तथा जिस पैकेट को काट कर उसने पेपर निकाला वह किस केन्द्र पर पंहुचा। इस केन्द्र के संचालक भी गिरोह में शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने कटा हुआ पैकेट व एक पेपर कम मिलने पर भी कहीं शिकायत नहीं दी।
एसओजी ने पेपर लीक करने वाले रामकृपाल मीणा व उसके खरीददार उदाराम को दो दिन पहले गिरफ्तार किया था। पड़ताल में सामने आया कि रीट की परीक्षा तय होने के साथ ही उदालाल पेपर हथियाने के प्रयास में जुट गया था। उसकी तरह ही प्रदेश स्तर पर नकल व पेपर लीक में सक्रि य एक और गिरोह का सरगना सक्रिय था। उस पर ग्राम विकास अधिकारी व पुलिस उपनिरीक्षक परीक्षा में भी गड़बड़ी में नाम सामने आ रहा है। हालांकि मोलभाव में रामकृपाल मीणा ने उदाराम का ऑफर स्वीकार किया।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पेपर की निगरानी के लिए शिक्षा संकुल में जहां गैर सरकारी व्यक्ति नियुक्त किए थे। इसके अलावा अन्य सभी जिलों में एडीएम स्तर के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई थी। जयपुर में मुख्य जिम्मेदारी गैर सरकारी व्यक्ति प्रदीप पाराशर को को-ऑर्डिनेटर के रूप में दी गी थी।
सामने आया है कि वर्ष 2011 और 2012 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई आरटेट परीक्षा में जयपुर का को-ऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर को ही बनाया गया था। उस समय बोर्ड चेयरमैन मंत्री सुभाष गर्ग थे। पाराशर मंत्री सुभाष गर्ग और बोर्ड चेयरमैन डीपी जारौली के करीबी हैं। इस सम्बंध में प्रदीप पाराशर का कहना है कि एसओजी की ढाई दिन पूछताछ में अभी तक मेरी लिप्तता नहीं मिली है। एसओजी बुलाएगी तो फिर जाउंगा।