नई दिल्ली, 30 जून
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने पाया है कि कोवैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट्स से लड़ने में कारगर है।भारत बायोटेक की बनाए स्वेदशी कोरोना रोधी टीके कोवैक्सीन के असर को अब अमेरिका ने भी मान लिया है।बता दें कि कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने बनाया है। NIH ने यह भी कहा है कि उनकी आर्थिक मदद से तैयार हुए एड्जुवेंट ने काफी असरदार कोवैक्सीन तैयार करने में मदद की है. सबसे पहले अल्फा वेरिएंट ब्रिटेन और डेल्टा वेरिएंट भारत में पाया गया था.
एनआईएआईडी के निदेशक एंथनी फौसी ने कहा कि एक वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एनआईएआईडी समर्थन के साथ विकसित एक एड्जुवेंट सहायक के तौर पर वैक्सीन का हिस्सा है. इससे भारत में लोगों के लिए एक प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध हो सका है.
एनआईएच ने बताया कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के ब्लड सीरम के अध्ययन से यह पता चलता है कि टीके से जो एंटीबॉडीज बनती हैं, वह ब्रिटेन और भारत में सबसे पहले मिले कोरोना के B.1.1.7 (अल्फा) और B.1.617 (डेल्टा) वेरिएंट्स पर असरदार है।