मुंबई, 10 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में बीए के पॉलिटिकल साइंस के पेपर में एक विवादित प्रश्न पूछ लिया गया था। प्रश्न ये था कि हिंदुत्व और फासीवाद में क्या समानता है। ये मामला 6 मई का है। पेपर सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था। इसके बाद मामला यूजीसी के पास पहुंच गया। जिसमे यूजीसी ने यूनिवर्सिटी से पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट मांगी है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने यूनिवर्सिटी के कुलपति को एक पत्र में लिखा कि बीए के स्टूडेंट्स ने परीक्षा में पूछे गए प्रश्न पर शिकायत दर्ज की है। कहने की जरूरत नहीं है कि ऐसे प्रश्न पूछना हमारे देश की भावना और लोकाचार के खिलाफ है। जैन ने आगे कहा कि यूनिवर्सिटी में इस तरह की घटनाओं को दोहराया नहीं जाएगा। इसके लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं और इस पर क्या कार्रवाई की गई है, उसकी पूरी रिपोर्ट पेश करें।
दरअसल शारदा यूनिवर्सिटी में इंटरनल परीक्षाएं चल रही हैं। 6 मई को यहां बीए प्रथम वर्ष के पॉलिटिकल साइंस की परीक्षा थी। इस परीक्षा में एक सवाल पूछा गया। जिसमें फासीवाद, नाजीवाद और दक्षिणपंथी हिंदुओं में समानताओं के बारे में लिखने के लिए कहा गया था। जिसके बाद उसकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर स्टूडेंट्स ने यूजीसी से शिकायत की थी।
मामला बढ़ता देख यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी किया था। जिसमें मैनेजमेंट ने सफाई देते हुए कहा कि हमें दुख है कि ऐसी घटना हुई जो सामाजिक मतभेद को बढ़ावा दे सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यों की एक टीम बनाई है, जो पूरे मामले की जांच कर जल्द ही पूरे मामले पर रिपोर्ट देगी। यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सिबाराम खारा ने बताया कि पेपर बनाने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर वकास फारुक को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही इस तरह का पेपर बनाने का कारण बताने के लिए नोटिस भी भेजा है।