जयपुर, 14 मई । राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण पहली लहर की तुलना में सात गुना तेजी से फैल रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली लहर सितंबर में आई और नवंबर तक चली, तब दो लाख केस 101 दिन में आए थे। अब दूसरी लहर में (अप्रैल-मई) में संक्रमण फैलने की रफ्तार सात गुना हो गई और एक सप्ताह से भी कम समय में एक लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। राज्य में सरकारी सख्ती के कारण संक्रमण की वजह से नए पीडि़तों की संख्या में थोड़ी कमी आई है, लेकिन इससे होने वाली मौतों में कमी नहीं हो पा रही है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को राज्य में 14 हजार 289 नए संक्रमित मिले, जबकि 155 मरीजों ने प्राण त्याग दिए। इस दौरान अजमेर में 496, अलवर में 1368, बांसवाड़ा में 91, बारां जिले में 190, बाड़मेर में 203, भरतपुर में 575, भीलवाड़ा में 306, बीकानेर में 412, बूंदी में 122, चित्तौडग़ढ़ में 417, चूरू में 342, दौसा में 341, धौलपुर में 82, डूंगरपुर में 297, श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में 302-302 नए संक्रमित मिले। जयपुर जिले में सर्वाधिक संक्रमित मिलने का सिलसिला शुक्रवार को थोड़ा कम हुआ, लेकिन बीते 24 घंटों में प्रदेश के सर्वाधिक 2823 संक्रमित यहीं मिले। इसके अलावा जैसलमेर में 496, जालोर में 53, झालावाड़ में 242, झुंझुनू में 574, जोधपुर में 708, करौली में 114, कोटा में 773, नागौर में 194, पाली में 223, प्रतापगढ़ में 94, राजसमंद में 282, सवाई माधोपुर में 225, सीकर में 674, सिरोही में 157, टोंक में 123 तथा उदयपुर में 688 नए मरीज मिले। संक्रमण के कारण प्रदेश में जिन 155 मरीजों की मौतें हुई उनमें सर्वाधिक जयपुर जिले में 58 मरीजों ने संक्रमण के आगे दम तोड़ दिया। इसके अलावा जोधपुर में 14, बीकानेर व उदयपुर में 12-12 मरीजों ने दम तोड़ा। संक्रमण के कारण मरीजों की मौतें अन्य जिलों में भी हुई, लेकिन उनकी संख्या ज्यादा नहीं रही।
राज्य में कोरोना का पहला केस एक मार्च को इटली के एक यात्री में सामने आया था। इसके बाद भीलवाड़ा, जयपुर, झुंझुनूं सहित कई अन्य शहरों में केसों की संख्या में लगातार इजाफा होने लगा। धीरे-धीरे केस बढ़ने लगे और 194 दिन बाद यानी 12 सितंबर को राज्य में संक्रमित केसों की संख्या एक लाख पर पहुंची थी। उस समय तक प्रदेश में 1221 लोगों की कोरोना से जान चली गई थी। एक लाख केस जब राजस्थान में आए थे, तब प्रदेश में मृत्युदर अब तक के कोरोनाकाल की सबसे ज्यादा थी। उस समय मृत्युदर 1.21 फीसदी थी। राज्य में पहली लहर का प्रकोप भी सितंबर से ही बढऩे लगा। इसके बाद अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होने लगा। अक्टूबर-नवंबर तक स्थिति ये हो गई कि लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स उपलब्ध नहीं होते थे। नवंबर के आखिरी में कोरोना पीक पर आया और तब राज्य में सबसे अधिक 3314 संक्रमित केस 24 नवंबर को मिले, जो सर्वाधिक थे।
राज्य में कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल में दस्तक दी। अप्रैल के शुरुआत में 1350 संक्रमित केस एक दिन में मिले थे, जो तेजी से बढ़ते चले गए और 17 दिन में केसों की रफ्तार 6 गुना से अधिक बढ़ गई। पहली लहर 12 सितंबर से 22 दिसंबर यानी कुल 101 दिन में 2 लाख लोग संक्रमित हुए थे, जबकि 1413 लोगों की इस दौरान मौत हुई थी। दूसरी लहर का प्रकोप इतना खतरनाक होगा ये किसी ने अंदाजा भी नहीं लगाया था। दूसरी लहर में 17 अप्रैल से 12 मई यानी 25 दिन के अंतराल में 4 लाख लोग संक्रमित हो गए, जबकि 3049 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई।