श्रीनगर, 16 फरवरी ( न्यूज हेल्पलाइन ) आतंकवाद और अलगाववाद से जुड़े अपराधों की जांच के लिए हाल ही में गठित राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने दक्षिण और मध्य कश्मीर के विभिन्न जिलों में 10 अलग-अलग स्थानों पर देर रात तक छापेमारी की। जिसमें जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह के लिए काम करने वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया
ये मॉड्यूल युवाओं को भर्ती करने,वित्त की व्यवस्था करने, दक्षिण और मध्य कश्मीर में हथियारों के परिवहन के अलावा अन्य सहायता प्रदान करने में सक्रिय था। 2020 में गिरफ्तार व्यक्तियों में से एक के घर पर 4 आतंकवादी मारे गए। ये छापेमारी मुख्य रूप से जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क पर केंद्रित थे। 10 पहचाने गए व्यक्ति जो OGW मॉड्यूल का हिस्सा थे और जैश आतंकवादी कमांडरों से निर्देश ले रहे थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
कुछ दिन पहले ही हरियाणा (Haryana) की सोनीपत (sonipat) पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (jaish-e-mohammed) के तीन हैंडलर को पकड़ा था। पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों में पति-पत्नी और उनका एक साथी शामिल है। आरोपी पति-पत्नी पंजाब के तरनतारन निवासी रवि और वरिंद्र दीप कौर और उसके साथी जालंधर के रहने वाले कणभ के रूप में हुई थी। तीनों फर्जी पासपोर्ट बनवाकर विदेश भागने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट जा रहे थे। आरोपी पाकिस्तान (Pakistan) में आतंकी संगठन के संपर्क में थे।
14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर नेशनल हाईवे पर पुलवामा(Pulwama Attack) में हुए आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ सामने आया था। इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक की थी। इसमें 350 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर थी। कुछ समय तक यह आतंकवादी संगठन चुप बैठा रहा, अब कश्मीर के युवाओं को पैसों का लालच देकर अपने साथ मिला रहा है।
हाल में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने से क्षेत्र के बाहर, विशेष रूप से अफ्रीका के कुछ हिस्सों में एक जटिल सुरक्षा खतरा पैदा हो गया है। आतंकवाद विरोधी समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी उद्घाटन टिप्पणी देते हुए राजदूत टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि अगस्त 2021 में काबुल के तालिबान अधिग्रहण के साथ अफगानिस्तान में परिणामी परिवर्तन देखा गया। आतंकवाद विरोधी समिति की खुली ब्रीफिंग के दौरान टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि सुरक्षा परिषद को हाल ही में 1988 की समिति की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि तालिबान के संबंध बड़े पैमाने पर हक्कानी नेटवर्क के माध्यम अल-कायदा और विदेशी आतंकवादी लड़ाकों से घनिष्ठ बने हुए हैं। यह संबंध एक जैसे विचार, एक जैसे संघर्ष और अंतर्विवाह के माध्यम से बने संबंधों पर आधारित हैं।