नई दिल्ली, 18 अगस्त विगत कुछ महीनों से देश में खाद्य तेलों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि होते जा रही है, जो किसी के भी रोके नहीं रुक रही है। इस मूल्य वृद्धि के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार कारण वह पाम है, जिसके आयात पर नियंत्रण करने के कारण देश में खाद्य तेल की कीमत लगातार बढ़ते ही जा रही है। इसके परमानेंट समाधान के लिए केंद्र सरकार ने एक योजना की मंजूरी दी है, जिसका नाम है -ऑयल पाम।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 18 अगस्त को 11,040 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन - ऑयल पाम के कार्यान्वयन के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। इस दीर्घकालिक मिशन का उद्देश्य तिलहन और तेल पाम के क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना है, ताकि देश विदेशी आयात से हमेशा के लिए मुक्त हो सकें। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बारे में बताया कि इससे पूंजी निवेश बढ़ेगा, रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी, आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। इस योजना में अन्य तिलहनों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
ज्ञात हो कि 11,040 करोड़ रुपए के खर्च से संचालित होने वाले इस खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन 'ऑयल पाम' का उद्देश्य है कि देश के चुनिंदा क्षेत्रों, जहां पर पाम के पेड़ों को लगाया जा सकता है, का चयन कर, किसानों को प्रेरित करके पाम के पेड़ों रोपा और पोषित कराया जाएगा। इस बीच किसानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह एक दीर्घकालिक योजना है जिसके द्वारा देश के खाद्य तेलों की समस्या का परमानेंट समाधान किया जाएगा।
ज्ञात हो कि लगभग डेढ़ साल पहले तक देश में खाद्य तेलों का मूल्य कम होते-होते काफी निम्न स्तर पर आ गया था। इस दौरान ज्यादातर रिफाइंड ऑइल का मूल्य सौ रुपए प्रति लीटर के लगभग में आ चुका था, उसके साथ ही सरसों तेल के मूल्य में भी काफी कमी आई थी। तभी कुछ राजनीतिक कारणों से भारत सरकार ने मलेशिया से पाम के आयात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया था। चूंकि देश में पाम के सस्ते आयात के कारण ही खाद्य तेलों के मूल्य में कमी आई थी। मलेशिया से पाम के आयात पर लगे प्रतिबंध के कारण देश में खाद्य तेलों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि हो गई है, जिससे सरसों तेल, रिफाइंड तेल सहित सभी खाद्य तेलों के मूल्य लगभग दोगुना हो गए हैं।