फरवरी 2022 तक सरसों के तेल की कीमतों में कमी आने की संभावना : सुधांशु पांडे, केन्द्रीय खाद्य सचिव

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Posted On:Friday, October 22, 2021

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (न्यूज हेल्पलाइन)   विगत कुछ महीनों से सरसों तेल सहित खाद्य तेलों के मूल्य में बेतहाशा वृद्धि होते जा रही है। इसके साथ ही विगत कुछ दिनों ने प्याज के मूल्य में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसके अलावे अन्य खाद्य सामग्रियों के मूल्य में भी वृद्धि दर्ज की गई है। इन सभी मुद्दों पर आज केन्द्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने आंकड़ों के द्वारा सफाई पेश करने की कोशिश की। 

सुधांशु पांडे ने सरसों तेल जो कि उत्तर भारत में बहुतायत रूप से खाना बनाने में प्रयोग होता है, के मूल्य वृद्धि के बारे में बताया कि सरसों के तेल का उत्पादन करीब 10 लाख मीट्रिक टन बढ़ा है। हम फरवरी तक सरसों के तेल की कीमतों में कमी देख सकते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के हस्तक्षेप से देश में अन्य देशों की तुलना में कमोडिटी की कीमतों में काफी कमी आई है। (ज्ञात हो कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने विगत समय से काफी प्रयास किये हैं।) 

ज्ञात हो कि देश में विगत कुछ दिनों से एकाएक प्याज की कीमतों में उछाल आया है। इस बारे में सफाई देते हुए सुधांशु पांडे ने कहा कि प्याज की कीमतें कम हैं, प्याज की कीमतों में हमने असाधारण वृद्धि नहीं देखी है। राज्यों की भी यही राय है। हम फिलहाल प्याज के निर्यात को प्रतिबंधित करने का परिदृश्य नहीं देखते हैं। हम राज्यों को 26 रुपए किलो प्याज दे रहे हैं। 

खाद्य वस्तुओं के मूल्य पर केन्द्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि हाल के महीनों में थोक मूल्य सूचकांक के तहत सभी खाद्य पदार्थों में गिरावट का रुझान दिखा है। इसके तहत जनवरी 2021 से, खाद्य वस्तुओं की औसत WPI (wholesale price index) आधारित मुद्रास्फीति 1% से नीचे रही है और समान समय अवधि (जनवरी 2021 से सितंबर 2021) के दौरान -4.69% से 4.60% के बीच रही है। वहीं WPI खाद्य सूचकांक की औसत WPI आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2021 से 5% से नीचे रही है और इसी समय अवधि (जनवरी 2021 से सितंबर 2021) के दौरान -0.26 से 8.25% के बीच रही है। (WPI के अंतर्गत खाद्य पदार्थों में खाद्यान्न जिसमें अनाज, दाल, फल सब्जियां; दूध; अंडे, मांस और मछली; मसाले और मसाले; और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं।)

आगे सुधांशु पांडे ने खाद्य तेलों के मूल्य नियंत्रण पर अपने (केंद्र सरकार) प्रयासों का विवरण देते हुए बताया कि 14 अक्टूबर, 2021 से मार्च, 2022 तक 7.5% के कृषि उपकर के साथ कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 0% करके युक्तिसंगत बनाया गया है। कच्चे सूरजमुखी तेल और कच्चे सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क को भी 0% तक करके युक्तिसंगत बनाने का प्रयास हुआ है। इससे सरसों तेल को छोड़ कर अन्य खाद्य तेलों के मूल्य में कमी आई है। 

ज्ञात हो कि खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने के अतिरिक्त प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने ताजा पहल करते हुए 14 अक्टूबर, 2021 से मार्च, 2022 तक 5% के कृषि उपकर और इसी अवधि के लिए रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल और रिफाइंड सोयाबीन ऑयल पर आयात शुल्क को 17.5% तक तर्कसंगत बनाने का प्रयास हुआ है।

इसके अलावे अन्य प्रयासों में खाद्य तेलों और खाद्य तिलहनों पर स्टॉक सीमा का अधिरोपण किया गया है।विशेष परिस्थितियों को देखते हुए राज्यों को खाद्य तेल और तिलहन पर स्टॉक सीमा लगाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही राज्यों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए खुदरा मूल्य को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह इन वस्तुओं की जमाखोरी को रोक सकता है और खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। 

केंद्र सरकार द्वारा तिलहन और खाद्य तेलों के स्टॉक के स्व-प्रकटीकरण के लिए एक वेब-पोर्टल का शुभारंभ किया गया है। इसके तहत निर्यातकों और आयातकों को पहले की तरह छूट दी जाएगी, लेकिन उन्हें प्रकटीकरण प्रावधानों का पालन करना होगा। सभी राज्यों और खाद्य तेल उद्योग संघों के साथ बातचीत के आधार पर, स्टॉक प्रकटीकरण निर्देश जारी किए गए हैं और देश में साप्ताहिक आधार पर खाद्य तेलों / तिलहनों के स्टॉक की निगरानी के लिए एक वेब पोर्टल 24 सितंबर, 2021 से चालू है। इस पोर्टल में मिल मालिकों, रिफाइनर, स्टॉकिस्ट और थोक विक्रेताओं आदि द्वारा सहयोग किया जा रहा है।


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