नवंबर महीने में भले ही आम नागरिकों को महंगाई के मोर्चे पर कुछ झटका लगा हो, लेकिन आने वाला साल महंगाई से राहत देने वाला साबित हो सकता है। एक प्रमुख रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2026 में देश की खुदरा महंगाई (Retail Inflation) में 35 बेसिस प्वाइंट (BPS) तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट: जीएसटी सुधारों का होगा असर
एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की एक हालिया रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि देश की महंगाई अगले साल कम होगी, जिसमें जीएसटी (GST) सुधारों की भूमिका अहम रहने वाली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सुधारों के चलते वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई (CPI) या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कुल कमी लगभग 35 बीपीएस तक हो सकती है। यह आकलन ई-कॉमर्स बिक्री पर मिलने वाली छूट को शामिल नहीं करता है, जो जीएसटी में कमी के कारण और भी बढ़ सकती है।
नवंबर 2025 में महंगाई की स्थिति
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2025 में भारत की सीपीआई महंगाई दर मामूली रूप से बढ़कर 0.71% हो गई, जो अक्टूबर 2025 में 0.25% थी। इसके मार्च 2025 तक 2.7% तक पहुंचने की उम्मीद है। रुपये की कीमत में गिरावट के कारण भारत में महंगाई और बढ़ने की संभावना है। वित्त वर्ष 2026 के लिए महंगाई 1.8% और वित्त वर्ष 2027 के लिए 3.4% रहने का अनुमान है।
हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि कम से कम फरवरी की मौद्रिक नीति बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ब्याज दरों के रुख में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है।
केरल में उच्च महंगाई दर
नवंबर में, केरल राज्य में महंगाई दर काफी उच्च रही, जो 8.27% थी। इसमें ग्रामीण इलाकों में महंगाई 9.34% और शहरी इलाकों में 6.33% दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी एक बड़ी वजह सोने, चांदी और तेल एवं वसा (Oil and Fats) की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हो सकती है, जिनका राज्य में उपभोग ज्यादा होता है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड का आकलन: जीडीपी और महंगाई पर प्रभाव
इससे पहले, स्टैंडर्ड चार्टर्ड ग्लोबल रिसर्च (Standard Chartered Global Research) ने भी अनुमान लगाया था कि जीएसटी दरों में कटौती से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.1 से 0.16 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी हो सकती है, और वार्षिक महंगाई 40 से 60 बीपीएस तक कम हो सकती है।
अपनी रिपोर्ट में, स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने जीएसटी में किए गए बदलावों को 'समय पर उठाया गया कदम' बताया है। उनके अनुसार, जीएसटी में कटौती से सरकारी राजस्व को होने वाला नुकसान सीमित रहेगा, जिससे सरकारी खर्च और आय से जुड़ी चिंताएं कम हो सकती हैं। हालाँकि, रिपोर्ट ने यह भी आगाह किया कि संयुक्त राजकोषीय घाटे पर अब भी दबाव बना रहेगा, जो जीडीपी का करीब 0.15 से 0.20% हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रक्रिया में सुधार, जैसे तेज पंजीकरण और रिफंड, से कारोबार करना आसान होगा और इससे मध्यम अवधि में विकास की संभावनाएं बेहतर होंगी, बशर्ते जीएसटी परिषद इन्हें सही तरीके से लागू करे।
कुल मिलाकर, प्रमुख वित्तीय संस्थानों की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि जीएसटी सुधारों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने और आम आदमी को महंगाई से बड़ी राहत मिलने की प्रबल संभावना है।